BHOPAL: छत्तीसगढ़ कोल स्कैम, द ईडी फाइल्स की सीरीज की पहली दो कड़ियों में आपने देखा कि किस तरह से कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी ने आईएएस समीर विश्नोई के साथ मिलकर ई-सिस्टम के आदेश को बदला और आदेश बदलने के बाद किसी मल्टीनेशनल कंपनी की तरह अपना एक पूरा हाईटेक नेटवर्क खड़ा किया जो व्यापारियों से 25 रु. प्रति टन कोयले के हिसाब से उगाही करता था। हमने ये भी दिखाया कि ये पूरा नेटवर्क काम कैसे करता था। अब आज की कड़ी में जानिये कि इस नेटवर्क में शामिल ब्यूरोक्रेट्स और नेता में से किसकी क्या भूमिका थी और किस तरह से ब्यूरोक्रेट्स ने इस पूरे नेटवर्क को मदद की...
सूर्यकांत तिवारी के नेटवर्क का पहला किरदार: निखिल चंद्रकार
तस्वीर में दिखने वाले इस शख्स का नाम है निखिल चंद्राकर। ED ने 18 अगस्त, 2023 को कोर्ट के सामने जो तीसरी चार्जशीट दाखिल की है उसमें निखिल को आरोपी नंबर-1 बनाया है। ED के मुताबिक निखिल चंद्राकर कोल सिंडिकेट सूर्यकांत तिवारी का राइटहैंड है। इस राइडहैंड के पास तिवारी के सारे रॉन्ग काम करने का राइट था:
क्या करता था निखिल चंद्राकर?
- कॉर्डिनेटर के तौर पर कोयला व्यापारी, ट्रांसपोर्टर्स, एजेंट्स के साथ तालमेल
- सरकारी मशीनरी में तैनात अधिकारियों से संपर्क
- कैश कलेक्टर के तौर पर अवैध वसूली करना
- पैसों का पूरा मैनेजमेंट यानी कोल ट्रांसपोर्ट से हुई अवैध उगाही की रकम को किसे, कब और कहां पहुंचाना है
- अकाउंटेंट के तौर पर उगाही की रकम का पूरा हिसाब-किताब रखना
- कैश डिस्ट्रिब्यूटर के तौर पर अफसरों को रिश्वत पहुंचाने का काम
- केयर टेकर के तौर पर सूर्यकान्त तिवारी की संपत्तियों का मैनेजमेंट
- इतना ही नहीं वो निखिल चंद्राकर ही था जिसने ईडी की छापामार कार्रवाई के दौरान सूर्यकांत तिवारी की रकम को कुर्की से बचाने के लिए उसे रफा दफा करने में अहम भूमिका निभाई थी।
काम के बदले सूर्यकांत तिवारी निखिल चंद्राकर को कितना पैसा देता था?
निखिल को मासिक वेतन मिलता था 30-80 हजार रु। शायद ये आपको कम लगे मगर ये तो केवल टोकन अमाउंट था इसके अलावा सूर्यकांत तिवारी निखिल को वसूली से हुई कमाई का एक हिस्सा और नियमित अंतराल पर बोनस के तौर पर देता था। ED ने जो डायरियां जब्त की है उसमें निखिल के साथ हुए लेनदेन की कई एंट्रियां मिली है जैसे...
- 16 जनवरी 2021 को 87,000- निखिल/नारायण/मोहसिन/आरकेटी/मोहसिन
- 17 जुलाई 2021 को 30,000- निखिल चंद्राकर का वेतन
- 07 अगस्त 2021 को 30,000- रोशन वेतन/ निखिल
- 16 जनवरी 2021 को 87,000- वेतन निखिल/नारायण (विभिन्न खर्च)
निखिल ने अवैध वसूली के पैसों का क्या किया?
इस रकम से निखिल ने अपने लिए कई संपत्तियां खरीदी मसलन रायपुर में खुद के नाम पर 20 लाख से ज्यादा की प्रॉपर्टी। पत्नी तलविंदर के नाम पर 67 लाख से ज्यादा की प्रॉपर्टीज। ED ने निखिल के बैंक अकाउंट से 33 लाख रु. ज्यादा नकद बरामद किए और 1 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी कुर्क की है।
सूर्यकांत तिवारी के नेटवर्क का दूसरा किरदार: R-मैडम यानी IAS रानू साहू
ये IAS रानू साहू की तस्वीर है जो इस समय न्यायिक हिरासत में हैं..रानू साहू ईडी की तीसरी चार्जशीट में आरोपी नंबर-2 हैं और रानू साहू का छोटा भाई पीयूष साहू आरोपी नंबर 3 है। जब ये पूरा घोटाला हुआ तो रानू साहू कोरबा जिले की कलेक्टर थीं। छत्तीसगढ़ में कोल माइन्स का एक बड़ा एरिया कोरबा जिले में है। रानू साहू जून 2021 से लेकर जुलाई 2022 तक कोरबा जिले की कलेक्टर रहीं और उसके बाद रायगढ़ जिले में रानू साहू का ट्रांसफर हुआ। लेकिन जबतक कोरबा में रहीं, तब तक सूर्यकांत तिवारी के नेटवर्क के लिए खुलकर बल्लेबाजी करती रहीं। ED ने चार्जशीट में जिक्र किया है कि इसके लिए रानू साहू को एक बड़ी रकम रिश्वत के तौर पर मिली। रानू साहू ने किस तरह से इस नेटवर्क को मदद की वो जानिये...
क्या काम करती थीं रानू साहू ?
- रानू साहू सूर्यकांत तिवारी के कहने पर DMF फंड यानी जिला खनिज निधि के कॉन्ट्रेक्ट दिलवाने में मदद करती थीं और इसके बदले में रानू साहू को कमीशन के तौर पर मोटी रकम मिलती थी। ED ने अपनी चार्जशीट में इस पूरे खेल का खुलासा किया है। उदाहरण के तौर पर चार्जशीट में निकुल कुमार मन्नूभाई पटेल उर्फ जिग्नेश पटेल के कॉन्ट्रेक्टर के नाम का जिक्र हुआ है।
- जिग्नेश पटेल ने अपने फर्म 'किशन एग्रोटेक' के माध्यम से DMF टेंडर्स पाने की बार-बार कई कोशिशें की, लेकिन IAS रानू साहू ने हर बार उसके प्रोपोज़ल्स डिस्कार्ड कर दिए। इसी बीच जिग्नेश की मुलाक़ात सूर्यकांत के करीबी रोशन सिंह हुई और रोशन सिंह ने रानू साहू से उनके 3 करोड़ रुपए के दो टेंडर्स (कुल 6-करोड़ रुपये) को मंजूरी दिलवाई। टेंडर्स मिलने के बदले में उन्होंने रोशन सिंह के कहने पर निखिल चन्द्राकर (सूर्यकांत के राइट हैंड ) को 60 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया।
- जनवरी, 2023 में ED को दिए अपने बयानों में जिग्नेश ने बताया, "मैं अपनी फर्म किसान एग्रोटेक के द्वारा छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश राज्य में नेट हॉउस लगाने का काम करता हूँ। मेरी रोशन सिंह से पहले से जान पहचान थी...मैं एक बार District Mining Fund से सम्बंधित काम के सिलसिले में कोरबा जिले में गया था....वहां मुझे रोशन सिंह भी मिल गया... तब उसने मुझसे पूछा कि कोरबा क्यों आये हो? मैंने बोला DMF के काम के लिए आया हूँ...तब मुझसे रोशन सिंह बोला तुम कलेक्टर रानू साहू से मिलो और अगर आपका काम नहीं हो तो मुझे बताना। उसके बाद रोशन सिंह से 2-3 बार मिलने के बाद मैंने अपना रोट्री टिलर प्रोजेक्ट रोशन सिंह को दिया और रोशन सिंह ने मेरे उस रोट्री टिलर प्रोजेक्ट को तत्कालीन कोरबा कलेक्टर, रानू साहू से सैंक्शन करा दिया। इस 2 प्रोजेक्ट के राशि ३ करोड़ और ३ करोड़ यानी कुल 6 करोड़ थी। इस प्रोजेक्ट को दिलाने के बाद रोशन सिंह मुझे बोला की निखित चंद्राकर से मिलकर उसे कुल 60 लाख रूपये दे देना। "
- रानू साहू सूर्यकांत तिवारी के लिए काम करती थी और उसके घनिष्ठ संबंध थे। जब ईडी ने रानू साहू को पकड़ा और इस पूरे मामले में पूछताछ की तो रानू साहू ने पहले तो खुद को बेकसूर बताया, लेकिन जब ईडी ने रानू साहू को दस्तावेजी सबूत दिए तो वो गोल मोल जवाब देने लगी। मसलन..
ED का सवाल: 26 अप्रैल 2022 को आपने सूर्यकांत के साथ वाट्सऐप चैट पर निर्माण की तस्वीरें साझा की, ये निर्माण क्या है ?
रानू साहू का जवाब: मैं याद नहीं कर पा रही हूं।
ED का सवाल: रोशन सिंह को कैसे पहचानती हैं?
रानू साहू का जवाब: मैं रोशन सिंह को नहीं जानती, कलेक्टर के तौर पर कई लोगों से मिलती हूं हो सकता है कि संपर्क हुआ हो मगर याद नहीं आ रहा।
इस जवाब के बाद ED ने रानू साहू को 1 जून 2022 की वाट्सऐप चैटिंग दिखाई...जिसमें रोशन सिंह ने रानू साहू को मैसेज किया है कि वो कोरबा पहुंच गया है। रानू साहू ने चैटिंग में जवाब में लिखा कि जिला रजिस्ट्रार से मिलो। दरअसल रोशनसिंह और निखिल चंद्राकर ने सूर्यकांत तिवारी के लिए कोल वाशरीज को खरीदा था और कोरबा में मेसर्स मां मड़वारानी कोल बेनिफिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से रजिस्टर्ड करवाया था। और इसी संबंध में ये बातचीत हुई थी। ED ने रानू साहू को एजेंट मोइनुद्दीन कुरैशी का बयान भी बताया जिसके मुताबिक रोशन के कहने पर वो दिवाली पर मिठाई का पैकेट देने रानू साहू के घर गया था। यहीं नहीं, रानू साहू के घर आने वालों की एंट्री रजिस्टर में सूर्यकांत तिवारी के रायगढ़ के एजेंट नवनीत तिवारी की एंट्री मिली। ED ने जो लेन देन की डायरियां बरामद की उसमें आर मैडम, आरएस जैसी एंट्रियां मिली। निखिल चंद्राकर के मुताबिक ये एंट्री रानू साहू के लिए की गई थी।
साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा की कमाई से खरीदी 36 प्रॉपर्टीज!
ED के मुताबिक रानू साहू ने करीब छह महीनों में साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा की कमाई की। और इससे खरीदी 36 प्रॉपर्टीज!
- रानू साहू और उसके परिवार के सदस्यों ने अक्टूबर, 2017 से अगस्त, 2021 की अवधि के बीच 4 करोड़ रुपये से अधिक की कई अचल संपत्तियां खरीदी। इन प्रॉपर्टीज में से 2.18 करोड़ के पंजीकरण मूल्य की 13 प्रॉपर्टीज रानू साहू ने 15 जुलाई 2020 के बाद खरीदी थी वो भी अधिकांश संपत्तियां नकद से खरीदी।
- रानू साहू ने कोल ट्रांसपोर्टेशन पर उगाही में अपने हिस्से से और अन्य अपराध की आय से करीब 5.52 करोड़ रुपए की कुल रकम इकठ्ठा की थी। इसमें से 4,08,89,550 रुपए में रानू साहू ने अपने पिता अरुण साहू और अन्य परिवार के नाम पर 13 प्रॉपर्टीज - 7 प्रॉपर्टीज महासमुंद में, 4 रायपुर में और 2 गरियाबंद में खरीदी। तो वहीँ 61,48,590 रुपए की अवैध आय को रानू साहू ने कुछ अन्य बेनामीदारों के नाम पर महासमुंद जिले में 4 प्रॉपर्टीज खरीदने में खर्च किया। जांच के दौरान 19 और प्रॉपर्टीज (10 गरियाबंद जिले में, 3 रायपुर, 1 महासमुंद में और 5 धमतरी में) का खुलासा हुआ जिन्हें रानू साहू ने अपने या अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर रखा था। इन सम्पत्तियों को खरीदने में रानू साहू ने लगभग 82,05,821 रुपए खर्च किये। इस तरह रानू साहू ने कोल स्कैम उगाही और अन्य गलत कार्यों से कमाए काले धन से 36 सम्पत्तियों की खरीद की, जिनकी कीमत 5 करोड़ 52 लाख 43 हज़ार 961 (5,52,43,961 रु) इस तरह रही।
- रानू के लिए प्रॉपर्टी खरीदने में उसके परिवार और उनसे जुड़े कई सदस्य शामिल थे। हालांकि, जब रानू साहू के पिता अरुण साहू, माँ लक्ष्मी साहू, भाई पंकज साहू और भाई पीयूष कुमार, भाभी शालिनी साहू से ED ने पुछा कि आखिर परिवारजनों के नाम की 13 में से 9 प्रॉपर्टीज को खरीदने के लिए 1.29 करोड़ रुपए का इंतज़ाम कैसे किया गया? तो कोई भी सही-सही जवाब नहीं दे पाया। जबकि ED की रिपोर्ट में रानू साहू के परिवारजनों की इनकम टैक्स डिटेल्सके हिसाब से परिवारों वालों की नार्मल आय/ कृषि आय इतनी नहीं थी कि वो लोग 1.29 करोड़ रुपये की नकदी इस तरह से जमीन या अन्य प्रॉपर्टी की खरीदी में लगा पाते। कई जगहों पर तो प्रॉपर्टी की असल कीमत से ज्यादा का भुगतान किया गया है। अगर परिवार के पांच सदस्यों की पिछली 4 वित्तीय वर्षों यानि 2018-19 से 2021-22 तक की आय को भी जोड़ दें, तो भी मोटे तौर पर ये 1,09,55,802/ रुपये ही आती हैं।
- इसलिए ED ने दावा किया है कि रानू साहू और उसके परिवालो का ये कहना कि उन्होंने 2.18 करोड़ रुपये के सर्कल रेट वाली संपत्ति (असल वैल्यू 4 करोड़ रुपये से अधिक) अपनी आय से खरीदी है, एक सफ़ेद झूठ है। असल में संपत्ति खरीदने में लगाया गया ये धन रानू साहू की अवैध कमाई है जो उसने सूर्यकान्त तिवारी के कोल सिंडिकेट और आधिकारिक पद का उपयोग करते हुए अन्य अवैध कामों से बनाई थी।
- ED ने इन सभी संपत्तियों को जब्त कर लिया है। खास बात ये हैं कि प्रॉपर्टीज का सारा हिसाब किताब रानू का छोटा भाई पीयूष के जिम्मे था, इसलिए ईडी ने उसे आरोपी नंबर 3 बनाया है।
तिवारी के नेटवर्क का चौथा किरदार: D-यादव यानी विधायक देवेंद्र यादव
पिछले साल खैरागढ़ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा ने जीत हासिल की थी। लेकिन ED का दावा है कि इस उपचुनाव में जो पैसा खर्च हुआ, वो सूर्यकांत तिवारी के अवैध वसूली के सिंडिकेट ने मुहैया करवाया था। और पैसा दिया गया था भिलाई विधायक देवेंद्र यादव को। ED का दावा है कि विधायक को 3 करोड़ रु. की बड़ी रकम दी गई थी क्योंकि देवेंद्र यादव को उपचुनाव प्रभारी बनाया गया था।
ED ने अपनी चार्जशीट में जिक्र किया कि यादव ने 9 अप्रैल 2022 को सूर्यकांत तिवारी को वाट्सऐप पर मैसेज किया: "भैया पहुँच गया हूं शंकर नगर, कहाँ आना है, भैया खैरागढ़ पहुंचना है समय से, आपको कितना टाइम लगेगा आने में।"
एक और वाट्सऐप चैट का जिक्र है जिसमें देवेंद्र यादव ने सूर्यकांत तिवारी से रामनवमी पर डॉ कुमार विश्वास की रामकथा के लिए 25 लाख रु. की फीस का इंतजाम करने को कहा था।
ED से पूछताछ में देवेंद्र यादव ने माना कि सूर्यकांत तिवारी को जानते हैं लेकिन कोई वित्तीय लेन देन नहीं है। ED ने जो डायरियां जब्त की उसमें डी यादव, डी नवाज के नाम से एंट्री मिली।
निखिल ने एंट्री को लेकर ईडी को क्या बताया: निखिल चंद्राकर ने ED को बताया कि ये एंट्री देवेंद्र यादव से जुड़ी हुई हैं।
तिवारी के निर्देश पर 1 करोड़ रु. बैग में भरकर परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर के घर के पास देवेंद्र यादव के सहयोगी नवाज को देता था। नवाज हर बार मोहम्मद अकबर के बंगले से बाहर निकलता था। गाड़ी में पैसे रखने के बाद आगे कहां जाता था मुझे नहीं पता। हालांकि, इस मामले में ED ने देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी नहीं की है लेकिन 19 लाख रु. से ज्यादा की संपत्ति को कुर्क करने के आदेश दिए है।
तिवारी के नेटवर्क के किरदार नंबर 5: चंद्रदेव प्रसाद राय
सोने का ये जड़ाऊ हार, ED ने इसे अपनी चार्जशीट में दर्ज किया है। दरअसल ये वो हार है जिसे सूर्यकांत तिवारी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के बिलाईगढ़ के विधायक चंद्रेदव प्रसाद राय को गिफ्ट किया था। चंद्रदेव प्रसाद राय के बारे में की गई ED की जांच से पता चला कि अपराध की आय में से 46 लाख रुपये की नकदी चंद्रदेव प्रसाद राय को दी गई थी। सूर्यकांत तिवारी के राइट हैंड निखिल चंद्राकर के 26 दिसंबर 2022 को दिए अपने बयान में माना है कि कोल कार्टेल द्वारा उत्पन्न अवैध जबरन वसूली फंड से नकद राशि चंद्रदेव प्रसाद राय को ट्रांसफर की गई थी। ED ने 20 फ़रवरी 2023 को चंद्रदेव प्रसाद राय के दो आवासीय परिसरों में तलाशी अभियान चलाया, जिसमें 18,97,072 रुपए कीमत के कई कीमती आभूषण और नकदी बरामद हुए।
चंद्रदेव प्रसाद राय ने भी अपने बयानों में माना कि वो सूर्यकान्त तिवारी को पिछले 3 सालों से जानते हैं। और ED द्वारा बरामद किए गए गहने सूर्यकान्त तिवारी ने उनकी बीवी को गिफ्ट में दिए थे। आभूषणों की खरीद और उसके लिए पेमेंट को लेकर चंद्रदेव प्रसाद राय और सूर्यकांत तिवारी के बीच व्हाट्सएप चैट भी हुई थी जिसकी बात चंद्रदेव ने अपने बयान में मानी है।
जहाँ ED की 20 फ़रवरी 2023 के तहत तलाशी अभियान में अपने पास से मिले 14,59,350/- रुपये की नकदी का स्रोत बताने में चंद्रदेव प्रसाद राय फेल हो गए। वहीँ जब ED ने जब्त की गई डायरियों में उसके नाम की ( 'चंद्र, चंद्र देव' श्री चंद्रदेव प्रसाद राय, विधायक नाम से) कैश एंट्रीज के बारे में चंद्रदेव से पूछताछ की तो उसने माना कि सूर्यकांत तिवारी ने उन्हें उत्तर प्रदेश चुनाव में खर्च करने के लिए नकद राशि दी थी। उसने बताया, "ये सभी एंट्रीज सही हैं, इनमें लिखा अमाउंट सूर्यकांत तिवारी ने यूपी में मेरे पास यूपी चुनाव के लिए भिजवाया था। यूपी चुनाव के लिए मैं 50-60 कार्यकर्ताओं को लेकर गया था...जिनके यात्रा, रुकने-खाने और अन्य चुनाव खर्चों पर इसे खर्च किया गया था। इस बारे में सूर्यकांत के राइट हैंड निखिल चंद्राकर के 26 दिसंबर 2022 के बयान और जब्त की गई डायरियों से खुलासा हुआ कि कोल कार्टेल की अवैध उगाही की रकम में से कम से कम 46 लाख रुपये "चंद्रदेव प्रसाद राय" को ट्रांसफर किए। ED ने चंद्रदेव के पास से जब्त 46 लाख रु के आभूषण, प्रॉपर्टी और कैश को कुर्क कर लिया है।
रायपुर कांग्रेस भवन और C पार्टी की कहानी
चंद्रदेव प्रसाद राय के बयान से साफ होता है कि सूर्यकांत तिवारी अवैध वसूली का पैसा नेताओं तक पहुंचाता था। निखिल चंद्राकर ने ED की जाँच में ये स्वीकार किया है कि वह रोशन सिंह और रजनीकांत तिवारी के साथ मिलकर सूर्यकांत तिवारी द्वारा एकत्रित की गई अवैध नकद राशि का एक बड़ा हिस्सा रायपुर के राजीव भवन (कांग्रेस भवन) में पहुंचाता था!
ED को दिया गया निखिल चंद्राकर का बयान:"मैं ये कहना चाहता हूँ की कोयला वसूली का जो रुपया सूर्यकान्त तिवारी के ऑफिस में एकत्र होता था, उसमें से ज्यादातर रुपया कांग्रेस पार्टी के राजीव भवन / कांग्रेस भवन में भी जाता था। राजीव भवन, शंकर नगर में स्थित है। ये रुपया मैं, रजनीकांत और रोशन देने जाते थे। राजीव भवन में डडसेना जी नाम के एक व्यक्ति को देता था जो कि राम गोपाल अग्रवाल के बगल वाले कमरे में बैठता था। ये कमरा रामगोपाल अग्रवाल के कमरे से अटैच था, जिसका एक दरवाजा रामगोपाल अग्रवाल के कमरे से भी है, जो रुपया कांग्रेस भवन जाता था उसकी एंट्री भवन (Bhawan) या C Party नाम से होती थी।"
सूर्यकांत के राइट हैंड निखिल चंद्राकर के अलावा IAS रानू साहू और भाई पियूष साहू, विधायक देवेंद्र यादव और चंद्रदेव प्रसाद राय ने सरकारी सिस्टम का हिस्सा रहते हुए पूरे स्कैम में जमकर कमाई की और इसमें आरोपियों का साथ दिया...लेकिन इन सबके अलावा भी जिन लोगों का इस कोल कार्टेल को खड़ा करने और चलने में मुख्य रोल रहा वो कुछ इस तरह हैं:
कोल कार्टेल को चलाने वालेअन्य किरदार जिन्हें ED ने आरोपी बनाया
विनोद तिवारी: विनोद तिवारी छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक नेता हैं। विनोद को भी उसके राजनीतिक खर्चों के साथ-साथ व्यक्तिगत खर्चों के लिए सूर्यकांत तिवारी के कार्टेल ने लगभग 1.87 करोड़ रुपए दिए थे। इस तरह विनोद तिवारी ने भी अपराध की आय को अपने पास रखा, उसका उपयोग किया और जानबूझकर अपराध की आय को वैध बनाने की प्रक्रिया में अन्य आरोपियों की सहायता की थी।
राम प्रताप सिंह: राम प्रताप सिंह छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता हैं। राम प्रताप सिंह को उसके राजनीतिक खर्चों के साथ-साथ व्यक्तिगत खर्चों के लिए सूर्यकांत तिवारी के कार्टेल ने अपराध की आय में से लगभग 2.01 करोड़ रुपए दिए थे। इस प्रकार राम प्रताप सिंह ने अपराध की आय को अपने पास रखा, उसका उपयोग किया और जानबूझकर अपराध की आय को वैध बनाने की प्रक्रिया में अन्य आरोपियों की सहायता की।
रोशन सिंह: रोशन सिंह इस सिंडिकेट में अकाउंटेंट, खजांची, कोर्डिनेटर, कैश कलेक्टर-डिस्ट्रीब्यूटर होने के साथ ही सूर्यकांत तिवारी के प्रतिनिधि और निजी सहायक के रूप में काम करता था। वो सिंडिकेट के गठन में सक्रिय रूप से शामिल था...कोयला व्यवसायियों के साथ बैठकें ऑर्गनाइज़ करता था। सूर्यकांत तिवारी के निर्देश पर रोशन ने कोयला ट्रांसपोर्टरों/व्यवसायियों से अवैध नकदी इक्कट्ठा करके उसे राजनेताओं, नौकरशाहों आदि को वितरित करने का काम किया। वह कोयला सिंडिकेट को सुचारू रूप से चलाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य मशीनरी के साथ कोर्डिनेट का काम भी करता था। वह सूर्यकांत तिवारी द्वारा खरीदी गई संपत्तियों और कोल वाशरी के अधिग्रहण में उपयोग की गई अवैध नकदी की लेयरिंग और प्रोजेक्शन के लिए भी जिम्मेदार था। जांच के हिसाब से अपराध की आय का एक बड़ा हिस्सा रोशन सिंह को भी मिला है।
मनीष उपाध्याय: मनीष उपाध्याय सूर्यकांत तिवारी का चचेरा भाई है और सौम्या चौरसिया का करीबी विश्वासपात्र सहयोगी हैं। जांच से पता चला कि सौम्या चौरसिया को मनीष उपाध्याय के माध्यम से सूर्यकांत तिवारी के सिंडिकेट से बड़ी रकम मिली थी। मनीष उपाध्याय ने एक कैरियर और कूरियर के रूप में काम किया, जो सौम्य चौरसिया को मिलने वाले कैश हिस्से के लोजिस्टिक्स और मूवमेंट्स के जिम्मेदारी संभालता था...और चौरसिया के लिए दागी संपत्ति को बेदाग संपत्ति के रूप में बदलता था.... मनीष उपाध्याय के पास भी अपराध की कमाई मिली।
नवनीत तिवारी: नवनीत तिवारी सूर्यकांत तिवारी का रिश्तेदार है और उसे रायगढ़ जिले में अवैध लेवी वसूली के लिए लगाया गया था.... उसका काम रायगढ़ जिले में जिला प्रशासन के साथ कोर्डिनेशन रखना, अवैध उगाही की वसूली करना और डेटा का रखरखाव करना था। कलेक्शन के बाद वह ऐसे कैश को डेटा के साथ रायपुर में सूर्यकांत तिवारी के घर ट्रांसफर कर देता था.... नवनीत और उनके परिवार के सदस्यों ने अपराध की कमाई से सूर्यकांत तिवारी के लिए संपत्ति भी खरीदी। इस तरह कुल मिलकर नवनीत तिवारी ने भी अवैध कमाई को बेदाग संपत्ति के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की।
नारायण साहू: नारायण साहू सूर्यकांत तिवारी का ड्राइवर है...ये भी सक्रिय रूप से सिंडिकेट के अवैध नकदी के संग्रह में शामिल था...इसने सूर्यकांत तिवारी और सिंडिकेट के अन्य सदस्यों के निर्देश पर कई लोगों को अवैध नकदी सौंपने का काम किया।